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कविता

इतने दिनों बाद

हरे प्रकाश उपाध्याय


सुन रहा है मनोहर!
उस लड़की का नाम है इस गीत में
जो हमारे साथ पढ़ती थी
मिडिल स्कूल में
मनोहर!
यह क्या हो रहा है
कि इतने दिनों बाद
कल उससे मिलना चाहता हूँ मै
जाने कहाँ होगी वह
कैसे मिलूँगा उससे
उसकी शादी हो गयी होगी
और चली गयी होगी
पिया संग परदेस तो...

मनोहर!
अपना स्कूल छुटा वह टूटा हुआ
गाँव छुटा लुटा हुआ
पर यह क्या हो रहा है
कि फिर उग उठा है नीले आसमान में सूरज लाल
बहुत दिन से डूबा हुआ

मनोहर!
तू चुप क्यों है भाई
बचपन से रहा अपना संग-साथ
बाँच ले बाँच
जैसे उन दिनों बाँचता था मेरा हाथ
और कह दे
कि फिर बनेगा मेरा उसका साथ

मनोहर!
मेरी इस पुरानी किताब में देख
लिखा है उसका नाम सलमा
गाँव से छूटती गाड़ी में
जब मैं इसे पलट रहा था
इसी किताब में मिली थी उसकी चिट्ठी
जिसमें लिखा था पगली ने मुझे बलभद्र उर्फ 'बलमा'

मनोहर!
मैं मोड़ नहीं सका
अपनी दिशा उस दिन
मुझे क्या हो गया था
और आज फिर
उसी किताब को पलटते हुए
उसी पुरानी चिट्ठी को पढ़ते
मुझे यह क्या हो रहा है मनोहर, मेरे मित्र!

 


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